रविवार, 31 मई 2015

प्रमुख यादव विभूति - लालू प्रसाद यादव



लालू प्रसाद यादव


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लालू प्रसाद यादव 

        लालू प्रसाद यादव (जन्म: 11 जून 1948) :- भारत के सबसे सफल रेलमंत्रियों में से एक लालू प्रसाद यादव बिहार के बड़े राजनीतिज्ञों में गिने जाते हैं। वर्तमान में वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया। जबकि वे 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे | उन्हें बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी|
जीवन एवं राजनीतिक सफर
इनका जन्‍म 11 जून 1948 को बिहार राज्‍य के गोपालगंज जिले के फूलवरिया गांव में यादव परिवार में हुआ।| इनके पिता का नाम कुंदन राय एवं माता का नाम मरछिया देवी है | इन्‍होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोपालगंज से प्राप्‍त की तथा कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना चले आए। पटना के बीएन कॉलेज से इन्‍होंने लॉ में स्‍नातक तथा राजनीति शास्‍त्र में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई पूरी की। 1 जून 1973 को इनकी शादी राबड़ी देवी हुई। लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे हैं जिनमें से सभी बेटियों की शादी हो चुकी है।
लालू प्रसाद ने कॉलेज से ही अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की। 1970 में यह पटना यूनिवर्सिटी छात्र यूनियन के महासचिव और 1973 में अध्यक्ष चुने गए| इसी दौरान वे जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का हिस्‍सा बन गए और जयप्रकाश नारायण, राजनारायण, कर्पुरी ठाकुर तथा सतेन्‍द्र नारायण सिन्‍हा जैसे राजनेताओं से मिलकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1977 में आपातकाल के पश्चात् हुए लोक सभा चुनाव में लालू यादव जीते और 29 वर्ष की आयु में ही वे जनता पार्टी की ओर से 6ठी लोकसभा के लिए चुन लिए गए और वह तत्कालीन लोकसभा के सबसे  युवा सदस्य बने1980 एवं 1985 में बिहार विधानसभा के सदस्य बने | श्री कर्पूरी ठाकुर के निधन पर वे 1989 में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने | 1989 के लोकसभा चुनाव में वह पुनः छपरा लोकसभा सीट से जनता दल के टिकट पर सांसद बने वह 10 मार्च 1990 को बिहार के मुख्यमंत्री बने और 28 मार्च 1995 तक इस पद पर बने रहे | 28 मार्च 1995 को बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाकर बिहार विधानसभा चुनाव कराया गया | इस चुनाव में भी वह भारी बहुमत से विजयी रहे एवं 4 अप्रैल 1995 को पुनः बिहार के मुख्यमंत्री बने |  जनता दल से मतभेदों के कारण उन्होंने 5 जुलाई 1997 को राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया | चारा घोटाला में नाम आने पर इन्होंने 25 जुलाई 1997 को मुख्यमंत्री पड़ से इस्तीफा दे दिया और इनके स्थान पर इनकी पत्नी श्री मति राबरी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनी | वह 1998 में मधेपुरा से सांसद बने | 1999 लोकसभा चुनाव में वह मधेपुरा में श्री शरद यादव से पराजित हो गए | वह राज्यसभा के लिए चुने गए | 1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। दो साल बाद 2000 में विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद अल्पमत में आ गई। सात दिनों के लिये नीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पायी। एक बार फ़िर राबड़ी देवी मुख्यमन्त्री बनीं। 2004 में वह छपरा संसदीय क्षेत्र से और मधेपुरा संसदीय क्षेत्र से सांसद बने एवं यूपीए-I सरकार में रेल मंत्री बनाये गए | बाद में उन्होंने मधेपुरा से त्यागपत्र दे दिया | 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद एक बार फिर "किंग मेकर" की भूमिका में आये और रेलमन्त्री बने। यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई। भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प एक शोध का विषय बन गया।इन्होंने रेलवे को घाटे से उबारकर लाभ में पहुँचा दिया | 2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में राजद कि हार गई और 2009 में वह पुनः छपरा से सांसद बने परन्तु उनकी पार्टी के केवल चार सांसद ही जीत सके। इसका अंजाम यह हुआ कि लालू को केन्द्र सरकार में जगह नहीं मिली। 3 अक्टूबर 2013 को चारा घोटाला में सजा सुनाये जाने पर इन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया
बिहार के राजनैतिक क्षितिज में श्री लालू प्रसाद के उदय ने इस क्षेत्र के गरीबों, पिछड़ों एवं शोषितों की राजनैतिक दशा और दिशा बदल दी | उन्हें अपने खोये हुए राजनैतिक गरिमा एवं ताकत का एहसास हुआ | लालू यादव मार्च 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने | लालू प्रसाद ने बिहार के यादवों में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक स्वाभिमान जगाने का काम किया | इन्हीं के प्रयासों से पूर्व प्रधानमन्त्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंडल कमीशन के सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की | लालू यादव सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर हैं | उनका बिहार का मुख्य मंत्री बनना एक क्रान्तिकारी कदम था, जिसने बिहार के शोषितों एवं दलितों को सवर्णों के आर्थिक एवं मानसिक शोषण से मुक्ति दिलाई | उन्होंने एक बार कहा था – ‘मैंने यहाँ के गरीबों, पिछड़ों तथा दलितों को स्वर्ग तो नहीं दिया, परन्तु स्वर जरूर दिया |’ उनके इस कथन को उनके विरोधी भी दबी जुबान स्वीकार करते हैं | उन्होंने पूरे देश की राजनीति में पिछड़े वर्ग को उभारने का भागीरथी प्रयास किया | उनके पुरे कार्य काल में बिहार दंगामुक्त रहा, जो उनकी प्रशासनिक दक्षता का सबूत है |
बिहार के सवर्णों और सामंतों को यहाँ के गरीबों एवं शोषितों का उनके आँख में आँख मिलाकर बात करना गवारा नहीं हुआ | गरीबों, दलितों और पिछड़ों के राजनैतिक एवं सामाजिक उत्थान से वह तिलमिला उठे | यहाँ के सामंतों ने गरीबों, दलितों एवं पिछड़ों के हमदर्द लालू प्रसाद को चारा घोटाला में फंसाने का कुत्सित कार्य किया | चारा घोटाला एक फर्जी वाउचर घोटाला था, जिसमे फर्जी वाउचर के माध्यम से सरकारी कोष से धन निकासी किया गया था | यह घोटाला सन 1977 से चला आ रहा था | 1990 में लालू जी बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1993 में उन्होंने इस घोटाले का पर्दाफास किया | पर सवर्णों एवं सामंतों ने, जिनका आज भी यहाँ की कार्यपालिका एवं न्यायपालिका पर पूर्ण दबदबा है, साजिश करके मुद्दई को ही मुदालय बना दिया |
लालू जी के राजनैतिक उतार-चढाव के साथ बिहार के यादव विधायकों के संख्या में भी उतार-चढाव होता रहा | 1990 के बिहार विधान सभा में 63 यादव विधायक चुनकर आये, जबकि 1995 में 86, 2000 में 64, 2005 में 54 और 2010 में 39 यादव विधानसभा में पहुँचने में कामयाब हुए |
लालू प्रसाद यादव मुख्यतः राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर लेखों के अलावा विभिन्न आन्दोलनकारियों की जीवनियाँ पढ़ने का शौक रखते हैं। 2001 में वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष भी रह चुके हैं और आज उनका बड़ा बेटा तेजप्रताप बिहार क्रिकेट रणजी टीम का सदस्‍य है। लालू प्रसाद यादव ने एक फिल्म में भी काम किया जिसका नाम उनके नाम पर ही है।
लालू का अन्दाज
अपनी बात कहने का लालू यादव का खास अन्दाज है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे। इन्टरनेट पर लालू यादव के लतीफों का दौर भी खूब चला।
चारा घोटाला
चारा घोटाला एक फर्जी वाउचर घोटाला था, जिसमे फर्जी वाउचर के माध्यम से सरकारी कोष से धन निकासी किया गया था | यह घोटाला सन 1977 से चला आ रहा था | 1990 में लालू जी बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1993 में उन्होंने इस घोटाले का पर्दाफास किया | पर सवर्णों एवं सामंतों ने, जिनका आज भी यहाँ की कार्यपालिका एवं न्यायपालिका पर पूर्ण दबदबा है, साजिश करके मुद्दई को ही मुदालय बना दिया और पिछड़ों – दलितों का जुबान बंद करने का प्रयास किया |
1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमन्त्री पद से हटना पड़ा। अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गये और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी। चारा घोटाला मामले में लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी।
लगभग सत्रह साल तक चले इस ऐतिहासिक मुकदमे में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये 3 अक्टूबर 2013 को पाँच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।[11] न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह, जदयू नेता एवं मंत्री पी. के. शाही के जीजा जी हैं जिसे लालू प्रसाद ने 2013 में महाराजगंज लोकसभा उपचुनाव में हराने का काम किया था |
लालू यादव और जदयू नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। भारतीय चुनाव आयोग के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल (5 साल जेल और रिहाई के बाद के 6 साल) तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। 

 आज भी बिहार कि जनता के दिलों पर वह राज करते हैं | अगर बिहार को 'ओबीसी टर्फ' कहा जाता है, तो इसे 'ओबीसी टर्फ' बनाने का श्रेय लालू जी को ही जाता है |