उदय प्रताप सिंह
उदय प्रताप सिंह (जन्म: 1932, मैनपुरी) एक कवि, साहित्यकार तथा राजनेता हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश से वर्ष
2002-2008 के लिये समाजवादी पार्टी की ओर से राज्य सभा का प्रतिनिधित्व
किया। राज्य सभा में यद्यपि उनका कार्यकाल 2008 में
समाप्त हो गया तथापि पूर्णत: स्वस्थ एवं सजग होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने
उन्हें दुबारा राज्य सभा के लिये नामित नहीं किया। जबकि वे पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के गुरू रह चुके
हैं और जाति से यादव भी हैं।
उदय प्रताप सिंह को उनकी बेवाक कविता के लिये आज भी कवि सम्मेलन के मंचों पर आदर
के साथ बुलाया जाता है। साम्प्रदायिक सद्भाव पर उनका यह शेर श्रोता बार-बार सुनना
पसन्द करते हैं:
नहीं समझी गयी ये बात तो नुकसान सबका
है॥
इसी
प्रकार सत्तासीनों द्वारा शहीदों के प्रति बरती जा रही उदासीनता पर उनका यह आक्रोश
उनके चेले भी बर्दाश्त नहीं कर पाते किन्तु उदय प्रताप सिंह उनके मुँह पर भी अपनी
बात कहने से कभी नहीं चूकते:
कभी-कभी सोचा करता हूँ वे वेचारे छले
गये हैं।
जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में
चले गये हैं॥
अनुक्रम
- 1 संक्षिप्त परिचय
- 2 मुलायम सिंह यादव के गुरू
- 3 मानद उपाधि एवं सम्मान
- 4 मन्त्रीपद का विशेष दर्ज़ा
- 5 सन्दर्भ
संक्षिप्त परिचय
उदय प्रताप सिंह का जन्म हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश के अनुसार ग्राम गढिया छिनकौरा जिला मैनपुरी (उ०प्र०) में 1
सितम्बर, 1932 को हुआ था जबकि राज्य सभा की आधिकारिक वेबसाइट में उनकी जन्मतिथि 18 मई, 1932 दी गयी है। अब कौन सी
तिथि सही है, यह तो
स्वयं उदय प्रताप सिंह ही बता सकते हैं। बहरहाल उनका जन्म सन् 1932 में हुआ था,
यह निश्चित है। उनकी माता पुष्पा यादव व पिता डॉ० हरिहर सिंह चौधरी
थे। 20 मई 1958 को डॉ० चैतन्य यादव के साथ उनका विवाह हुआ। उनके एक बेटा व तीन
बेटियाँ हैं। सूरीनाम में 1993 के
विश्व हिन्दी सम्मेलन के प्रतिनिधि मण्डल का उन्होंने नेतृत्व किया। वे देश विदेश
में पिछले पैंतालिस वर्षों से कवि सम्मेलनों में जाते रहे हैं और भाषायी एकता का
मुद्दा उठाते रहे हैं।
मुलायम
सिंह यादव के गुरू
1960 में करहल (मैनपुरी) के जैन इण्टर कॉलेज में वीर रस के
विख्यात कवि दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' ने अपनी प्रसिद्ध कविता दिल्ली की गद्दी सावधान! सुनायी जिस पर खूब
तालियाँ बजीं। तभी यकायक पुलिस का एक दरोगा मंच पर चढ़ आया और विद्रोही जी को
डाँटते हुए बोला-"बन्द करो ऐसी कवितायेँ जो सरकार के खिलाफ हैं।" उसी
समय कसे (गठे) शरीर का एक लड़का बड़ी फुर्ती से मंच पर चढ़ा और उसने उस दरोगा को
उठाकर पटक दिया। विद्रोही जी ने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर
रहे उदय प्रताप सिंह से पूछा-"ये नौजवान कौन है ?" तो पता चला कि यह मुलायम सिंह यादव थे जो उस समय
जैन इण्टर कॉलेज के छात्र थे और उदय प्रताप सिंह उनके गुरू हुआ करते थे।
मानद उपाधि एवं सम्मान
- पैरामारी
बू विश्वविद्यालय सूरीनाम द्वारा आचार्य की मानद उपाधि
- डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन सम्मान
- शायरे-यक़ज़हती
सम्मान
- विद्रोही स्मृति सम्मान
मन्त्रीपद का विशेष दर्ज़ा
उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी साल
सितम्बर में उदय प्रताप सिंह को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का कार्यकारी अध्यक्ष नामित कर कैबिनेट मन्त्री का दर्जा दिया।
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