गुरुवार, 7 अगस्त 2014

Yadav Empire - Pala Dynasty यादव साम्राज्य- पाल वंश

पाल वंश

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पाल राज्य का क्षेत्र
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पाल राज्य के बुद्ध और बोधिसत्त्व
चित्र:Pala Empire (Dharmapala).gif
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धर्मपाल का राज्य
पाल साम्राज्य मध्यकालीन भारत का एक महत्वपूर्ण शासन था जो कि 750 - 1174 इसवी तक चला। पाल राजवंश ने भारत के पूर्वी भाग में एक साम्राज्य बनाया। इस राज्य में वास्तु कला को बहुत बढावा मिला। पाल राजा बौद्ध थे।
यह पूर्व मध्यकालीन राजवंश था । जब हर्षवर्धन काल के बाद समस्त उत्तरी भारत में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक गहरा संकट उत्पन६न हो गया, तब बिहार, बंगाल और उड़ीसा के सम्पूर्ण क्षेत्र में पूरी तरह अराजकत फैली थी । इसी समय गोपाल ने बंगाल में एक स्वतन्त्र राज्य घोषित किया । जनता द्वारा गोपाल को सिंहासन पर आसीन किया गया था । तारंथ रचित ‘मत्स्यन्यय’ के अनुसार उस क्षेत्र में फैली अशान्ति को दबाने के लिए कुछ प्रमुख लोगों ने यादव वंश के सैन्य कमांडर गोपाल को अपना राजा चुना | इस प्रकार राजा का निर्वाचन एक अभूतपूर्व घटना थी। इसका अर्थ शायद यह है कि गोपाल उस क्षेत्र के सभी महत्त्वपूर्ण लोगों का समर्थन प्राप्त करने में सफल हो सका और इससे उसे अपनी स्थिति मज़बूत करन में काफ़ी सहायता मिली।  वह योग्य और कुशल शासक था, जिसने 750 ई. से 770 ई. तक शासन किया । इस दौरान उसने औदंतपुरी (बिहार शरीफ) में एक मठ तथा विश्‍वविद्यालय का निर्माण करवाया । पाल शासक बौद्ध धर्म को मानते थे । आठवीं सदी के मध्य में पूर्वी भारत में पाल वंश का उदय हुआ । गोपाल को पाल वंश का संस्थापक माना जाता है ।
  

अनुक्रम

·         3 महीपाल

धर्मपाल(770-810 ई.)

      गोपाल के बाद उसका पुत्र धर्मपाल 770 ई. में सिंहासन पर बैठा । धर्मपाल ने 40 वर्षों तक शासन किया । धर्मपाल ने कन्‍नौज के लिए त्रिदलीय संघर्ष में उलझा रहा । उसने कन्‍नौज की गद्दी से इंद्रायूध को हराकर चक्रायुध को आसीन किया । चक्रायुध को गद्दी पर बैठाने के बाद उसने एक भव्य दरबार का आयोजन किया तथा उत्तरापथ स्वामिन की उपाधि धारण की । धर्मपाल बौद्ध धर्मावलम्बी था । उसने काफी मठ व बौद्ध विहार बनवाये ।
उसने भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय का निर्माण करवाया था । उसके देखभाल के लिए सौ गाँव दान में दिये थे । उल्लेखनीय है कि प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एवं राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने धर्मपाल को पराजित किया था ।

देवपाल (810-850 ई.)

धर्मपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठा । इसने अपने पिता के अनुसार विस्तारवादी नीति का अनुसरण किया । इसी के शासनकाल में अरब यात्री सुलेमान आया था । उसने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाई । उसने पूर्वोत्तर में प्राज्योतिषपुर, उत्तर में नेपाल, पूर्वी तट पर उड़ीसा तक विस्तार किया । कन्‍नौज के संघर्ष में देवपाल ने भाग लिया था । उसके शासनकाल में दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे । उसने जावा के शासक बालपुत्रदेव के आग्रह पर नालन्दा में एक विहार की देखरेख के लिए 5 गाँव अनुदान में दिए ।
·         देवपाल ने 850 ई. तक शासन किया था । देवपाल के बाद पाल वंश की अवनति प्रारम्भ हो गयी । मिहिरभोज और महेन्द्रपाल के शासनकाल में प्रतिहारों ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकांश भागों पर अधिकार कर लिया ।

महीपाल

·         11वीं सदी में महीपाल प्रथम ने 988 ई.-1008 ई. तक शासन किया । महीपाल को पाल वंश का द्वितीय संस्थापक कहा जाता है । उसने समस्त बंगाल और मगध पर शासन किया ।
·         महीपाल के बाद पाल वंशीय शासक निर्बल थे जिससे आन्तरिक द्वेष और सामन्तों ने विद्रोह उत्पन्‍न कर दिया था । बंगाल में केवर्त, उत्तरी बिहार मॆम सेन आदि शक्‍तिशाली हो गये थे ।
·         रामपाल के निधन के बाद गहड़वालों ने बिहार में शाहाबाद और गया तक विस्तार किया था ।
·         सेन शसकों वल्लासेन और विजयसेन ने भी अपनी सत्ता का विस्तार किया ।
·         इस अराजकता के परिवेश में तुर्कों का आक्रमण प्रारम्भ हो गया ।
बौद्ध धर्म का संरक्षण
·         पाल नरेश बौद्ध मतानुयायी थे। उन्होंने ऐसे समय बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, जब भारत में उसका पतन हो रहा था। धर्मपाल द्वारा स्थापित विक्रमशिला विश्वविद्यालय उस समय नालन्दा विश्वविद्यालय का स्थान ग्रहण कर चुका था। इस काल के प्रमुख विद्वानों में 'सन्ध्याकर नन्दी' उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने 'रामचरित' नामक ऐतिहासिक काव्यग्रन्थ की रचना की। इसमें पाल शासक रामपाल की जीवनी है। अन्य विद्वानों में 'हरिभद्र यक्रपाणिदत्त', 'ब्रजदत्त' आदि उल्लेखनीय है। चक्रपाणिदत्त ने चिकित्सासंग्रह तथा आयुर्वेदीपिका की रचना की। जीमूतवाहन भी पाल युग में ही हुआ। उसने 'दायभाग', 'व्यवहार मालवा' तथा 'काल विवेक' की रचना की। बौद्ध विद्वानों में कमलशील, राहलुभद्र, और दीपंकर श्रीज्ञान आतिश आदि प्रमुख हैं।
·         'संध्याकर नंदी' द्वारा रचित ऐतिहासिक संस्कृत काव्य 'रामचरित' में रामपाल की उपलब्धियों का वर्णन है। रामपाल की मृत्यु के बाद सेन वंश की बढ़ती हुई शक्ति ने पाल साम्राज्य पर वस्तुत: ग्रहण लगा दिया, हालांकि पाल राजा दक्षिण बिहार में अगले 40 वर्षों तक शासन करते रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि, पाल राजाओं की मुख्य राजधानी पूर्वी बिहार में स्थित 'मुदागिरि' (मुंगेर) थी।
·         वज्रदत्त ने 'लोपेश्वरशतक' की रचना की। कला के क्षेत्र में भी पाल शासकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। स्मिथ ने पाल युग के दो महान शिल्पकार 'धीनमान' तथा 'बीतपाल' का उल्लेख किया है। पाल वंश के शासकों ने बंगाल पर 750 से 1155 ई. तक तथा बिहार पर मुसलमानो के आक्रमण (1199 ई.) तक शासन किया। इस प्रकार पाल राजाओं का शासन काल उन राजवंशों में से एक है, जिसमें प्राचीन भारतीय इतिहास में सबसे लम्बे समय तक शासन किया।


पालवंश के शासक

·         गोपाल (पाल) (750-770)
·         धर्मपाल (770-810)
·         देवपाल (810-850)
·         शूर पाल महेन्द्रपाल (850 - 854)
·         विग्रह पाल (854 - 855)
·         नारायण पाल (855 - 908)
·         राज्यो पाल (908 - 940)
·         गोपाल २ (940-960)
·         विग्रह पाल २ (960 - 988)
·         महिपाल (988 - 1038)
·         नय पाल (1038 - 1055)
·         विग्रह पाल ३ (1055 - 1070)
·         महिपाल २ (1070 - 1075)
·         शूर पाल २ (1075 - 1077)
·         रामपाल (1077 - 1130)
·         कुमारपाल (1130 - 1140)
·         गोपाल ३ (1140 - 1144)
·         मदनपाल (1144 - 1162)
·         गोविन्द पाल (1162 - 1174)
पाल राजवंश के पश्चात सेन राजवंश ने बंगाल पर 160 वर्ष राज किया।



9 टिप्‍पणियां:

  1. किस आधार पर पाल वंश को यादवो से जोड़ रहे हैं आप।

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    1. नेपाल के गोपाल वंश के राजा को जब किरातो ने जब गोपाल वंश के राजाओं को हरा दिया तो उन्हीं राजाओं ने तराई में अकर पल वंश स्थापित किया।ये कोई गडरिया वंश नहीं है। 1885 का Calcutta review archeological survey of indiI ke chief Cunningham ne gwal hi Mana hai।waise gwalo ki संख्या भी बहुत है बंगाल और बिहार में।ये राजधानी बिहार में मुंगेर में थी।

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    2. Pal Vanshi Raja Gopal Gadaryia Kshatryia the Yani
      Pal Kshatriya the yani
      Surya Vanshi the
      ye Yadu Vanshi nahi the
      Ahir Kshatriya kewal Yaduvanshi likhte hai
      Aur Gadariya Kshatriya me
      Pal Vanshi(Surya Vanshi),
      Agni Vanshi,
      Yadu Vanshi(Chandra Vanshi)
      Baghel Vansh(Agni Vanshi)hai,
      Ahir, Gadariya, Gujar ye teeno Pashupalak Kshatryia hai va Arya hai va Srestha hai , Arya log Pashupalak the ye teeno Surya Vanshi,
      Chandra Vanshi,Agni Vandhi hai,
      Jay Hind,Jay Bharat

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    3. Pal Vanshi Raja Gopal Gadaryia Kshatryia the Yani
      Pal Kshatriya the yani
      Surya Vanshi the
      ye Yadu Vanshi nahi the
      Ahir Kshatriya kewal Yaduvanshi likhte hai
      Aur Gadariya Kshatriya me
      Pal Vanshi(Surya Vanshi),
      Agni Vanshi,
      Yadu Vanshi(Chandra Vanshi)
      Baghel Vansh(Agni Vanshi)hai,
      Ahir, Gadariya, Gujar ye teeno Pashupalak Kshatryia hai va Arya hai va Srestha hai , Arya log Pashupalak the ye teeno Surya Vanshi,
      Chandra Vanshi,Agni Vandhi hai,
      Jay Hind,Jay Bharat

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  2. Gadriya tha pal vansh
    Ahir pagal ho gay kisi ko bhi apna bap bana lete hai

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  3. पाल राजवंश गड़रिया से संबंधित था पाल शब्द पालन शब्द से निकला है ओर गड़रिया ओर गुर्जर कहीं न कहीं यादव से सम्बन्धित है क्युकी ये तीनों जाती पशुपालन करती थी

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  4. पाल राजवंश गड़रिया से संबंधित था पाल शब्द पालन शब्द से निकला है ओर गड़रिया ओर गुर्जर कहीं न कहीं यादव से सम्बन्धित है क्युकी ये तीनों जाती पशुपालन करती थी

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