कर्णाटक
कर्णाटक में यादवों
का इतिहास एवं बर्तमान –
कर्नाटक राज्य पहले
मैसूर के नाम से जाना जाता था| यहाँ यादवों का इतिहास अत्यंत समृद्ध एवं गौरवशाली
रहा है|
सन 850 ई० से सन
1334 तक कर्णाटक के उत्तरी भाग पर देवगिरि के यादव वंश का शासन था| देवगिरि के
यादव वंश के शासन के दौरान इस क्षेत्र का काफी विकास हुआ| इनके शासन काल में कन्नड़
भाषा को प्रोत्साहन दिया गया| कन्नड़ इनके राजदरबार की भाषा थी| हेमाद्री ने
देवगिरी के यादव राजाओं को ‘कृष्णकुलउत्पन्न” कहा| मराठी संत दयानेश्वर ने उन्हें
“यदुकुलवंशतिलक” कहा था| यादव राजा सिंघन द्वितीय ने कन्नड़ कवि चांगदेव को सरकारी
संरक्षण दिया | चांगदेव ने ‘कमलभव’ की रचना की|
सन 1111 ई० से सन
1326 ई० तक मैसूर पर यादव कुल के ही द्वारसमुद्र के होयसल वंश का शासन था| द्वारसमुद्र
के होयसल वंश की स्थापना सन 1111 ई० में मैसूर के आसपास विट्टिग अथवा विट्टीदेव
द्वारा किया गया था| उसने अपना नाम बाद में विष्णुवर्द्धन रख लिया था|
विष्णुवर्द्धन का पौत्र वीर बल्लाल होयसल वंश का सबसे प्रतापी राजा हुआ था|
द्वारसमुद्र (आधुनिक हेलेविड) उनकी राजधानी थी | होयसल राजाओं ने हेलेविड में
सुन्दर विशाल मंदिरों का निर्माण करवाया|
सन 1399 ई० से सन
1950 ई० तक मैसूर रियासत पर वाडियर वंश का शासन रहा | यह अंतिम राजवंश था, जिसने
कर्नाटक पर शासन किया | वाडियर राजवंश की स्थापना दो वीर यादव भाइयों – विजय राय
एवं कृष्णा राय द्वारा किया गया था | विजय ने यदुराजा के नाम से 11 मई 1399 को
मैसूर की राजगद्दी संभाली | राजा वाडियर ने मैसूर में एक विशाल किला का निर्माण
करवाया | उन्होंने 1608 ई० में अपनी राजधानी मैसूर से श्री रंगपट्टनम में
स्थानांतरित कर दिया था | चिक्कादेव राजा वाडियर के समय मैसूर दक्षिण भारत का सबसे
शक्तिशाली राज्य बन गया था | इनका राज्य उत्तर में चिकमंगलोर तथा तुमकुर तक,
दक्षिण में पलानी एवं अन्नामलाई तक, पश्चिम में बेलूर तथा कुर्ग तक एवं पूरब में सलेम
तक फैला हुआ था | वाडियर राजा अपने प्रशासनिक कौशल एवं दक्षता के लिए जाने जाते थे
| वाडियर शासकों ने साहित्य, कला, संगीत और स्थापत्य कला का प्रश्रय दिया |
उनलोगों ने कृषि तथा व्यवसाय को प्रोतसाहित किया|
कर्नाटक में यादव जाति और उप जाति –
कर्नाटक में यदुवंशी
समाज तीन सजातीय समूह अथवा उप जाति में बंटे हुए हैं - (1) भेड़ पालने वाले को कुरुबा,
कुरुबा –गोडा, कुरम्बर, कुरुमा, धांगर या कुर्वा (2) गाय पालने वाले को गोल्ला,
ग्वाला, गवली, गोपाल, यादव, अस्थाना, अडवी, हबर, दुधिगोल्ला, कोणार, तथा (3) मैसूर
के वाडियर राजवंश के वंशजों को वाडियर, उर्स या अरसू आदि के नाम से जाना जाता है |
यहाँ यादव,
वोक्कालिंगा और लिंगायत के बाद आबादी के अनुसार तीसरी सबसे बड़ी जाति है | इनकी
आबादी लगभग 12 % है | इसमें कुरबा जाति की आबादी लगभग 8% तथा
गोल्ला की आबादी लगभग 4 % है | कर्नाटक में यादव बहुल जिलों के नाम इसप्रकार है –
मैसूर, चित्रदुर्ग, तुमकुर, कोलार, बैंगलोर, चिक्काबेलापुर, रामनगर, बेल्लारी,
बेलगाम, गुलबर्गा, बीदर, रायचूर, चामराजनगर, चामुंडेश्वरी आदि | विभिन्न गुटों में विभक्त यादवों के बीच आपसी
एकता लाने के लिए तथा उनके सामाजिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उत्थान के लिए 1924
में ‘मैसूर यादव संघ’ का गठन किया गया | वर्तमान में लक्ष्मी नारायण यादव ‘अखिल
कर्णाटक यादव महासभा’ के अध्यक्ष हैं |
ग्रामीण क्षेत्र में
रहने वाले यादवों को उरु गोल्ला तथा जंगली क्षेत्र में रहने वाले यादवों को
कडूगोल्ला कहा जाता है | कडूगोल्ला यादवों में अभी भी शिक्षा की कमी है | उदहारण
के लिए – चित्रदुर्ग जिले में कडूगोल्ला जाति निवास करती है | कहा जाता है की
इनमें अभी तक अनेक अंधविश्वास और कुरीति ब्याप्त है | कुछ लेखकों अनुसार काड़ूगोल्ला जाति में माहवारी (मासिक क्रिया) एवं प्रसव के दौरान कुछ
दिनों तक महिलाओं का घर में प्रवेश वर्जित होता है | इस दौरान उन्हें घर के बाहर
खुले स्थान पर, किसी वृक्ष के नीचे अथवा किसी परित्यक्त मकान में अपना समय गुजारना
पड़ता है | इससे उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | आवश्यकता है समाज
में ब्याप्त इन कुरीतियों और अन्धविश्वास को दूर करने की |
आइ० पी० एस० आफिसर
से चित्रदुर्ग के सांसद बने श्री पुली कोंडा रमैया (यादव) ने इनमे सामाजिक जागृति
लाने का अथक प्रयास किया तथा उन्हें इस दिशा में कुछ सफलता भी मिली |
राजनीति
1990 के दशक में
कर्णाटक की राजनीति में श्री सिद्दारमैया के उदय के साथ यहाँ की राजनीति में यादव -
कुरुबा के उभार का प्रारम्भ हुआ | सिद्दारमैया से पूर्व यहाँ अनेक दिग्गज यादव
नेता – कोल्लूर मल्लापा, बसंत राव पाटिल, पुली कोदंडा रमैया, चन्नैया वडियार, डी.
के. नायकर आदि थे, पर वे कर्णाटक की राजनीति पर अपनी अमिट छाप छोड़ने में असफल रहे या दुसरे शब्दों में वे यादवों में राजनैतिक एकता लाने तथा उनमें सत्ता की भूख
जगाने में असफल रहे |
प्रमुख यादव नेता –
1.
कोल्लूर
मल्लापा – (1905 – 24 अक्टूबर 2004)
उन्हें हैदराबाद –
कर्नाटक का गाँधी कहा जाता था | वह हैदराबाद के आंध्रप्रदेश में विलय के पूर्व
हैदराबाद कांग्रेस कमिटी के प्रथम अध्यक्ष थे | उन्होंने 1935 में कांग्रेस की
सदस्यता ग्रहण की | वह 1935 में अपने एक मित्र श्री जनार्दन देसाई के साथ साबरमती
आश्रम गए और महात्मा गाँधी से मिले, उसी समय से वह गाँधी जी के कट्टर समर्थक बन गए
| वह सर्वप्रथम हैदराबाद से विधायक बने तथा 1952 में गुलबर्गा के सुरपुर से पुनः
विधायक बने | 1957 में मैसूर के सेदम से विधायक बने | वह कर्नाटक के रायचूर लोकसभा
से कई बार सांसद बने | 1968, 1974 एवं 1984 में राज्यसभा के सदस्य बने| वह इंदिरा
गाँधी के काफी करीबी माने जाते थे | वह पी वी नरसिम्हा राव, वीरेन्द्र पाटिल,
शिवराज पाटिल, एस बी चव्हाण तथा जी वेंकट स्वामी के मेंटर थे |
2.
श्री
सिद्दारमैया – सिद्दारमैया कर्नाटक में यादव – कुरुबा जाति के सर्वमान्य नेता हैं
| वह सर्वप्रथम 1983 में विधानसभा चुनाव जीते थे | 1992 में उन्हें जनता दल का
महासचिव बनाया गया | 1994 में एच डी देवेगोड़ा सरकार में वित्त मंत्री बने | 1996
में जे एच पटेल सरकार में उपमुख्यमंत्री बने | पुनः 2004 में धर्म सिंह सरकार (
कांग्रेस – जनतादल एस गठबंधन) में
उपमुख्यमंत्री बने | 2006
में एच डी देवेगोड़ा से मतभेद होने पर वो जनता दल
एस छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए| वर्तमान में वे कर्णाटक के मुख्यमन्त्री तथा
वरुणा से कांग्रेस के विधायक हैं|
3.
के. एस.
ईश्वरप्पा - के. एस. ईश्वरप्पा कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और राजस्व तथा ग्रामीण
विकास मंत्री रह चुके हैं | वह भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं तथा दो बार कर्नाटक भाजपा
के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं |
आपातकाल
(1975 – 1977) के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया तथा बेल्लारी जेल में बंद रखा
गया था | आपातकाल हटने पर वो सक्रिय राजनीति में आये तथा बीजेपी में विभिन्न पदों
को सुशोभित किया | 1989 में उन्होंने शिमोगा से विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के
दिग्गज नेता व तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के. एच. श्री निवास को पराजित कर
लोकप्रिय हो गए | 1992 में उन्हें कर्नाटक बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया |
एच. डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस – बीजेपी गठबंधन सरकार में वे जल
संसाधन मंत्री बने | 2008 में कर्णाटक में बीजेपी के एतिहासिक विजय पर बी. एस.
येदुरप्पा सरकार में वे उर्जा मंत्री बने | जनवरी 2010 में उन्हें सर्वसम्मति से
कर्णाटक भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया | जुलाई 2012 में बीजेपी के जगदीश
सेट्टर सरकार में उपमुख्यमंत्री, राजस्व और ग्रामीण विकास मंत्री बने | 2013 में
वह शिमोगा से विधान सभा चुनाव हार गए |
4.
आर.
वार्थुर प्रकाश – भाजपा नेता, पूर्व कपड़ा मंत्री व कोलार से विधायक
5.
एच.
विश्वनाथ – सांसद मैसूर, कांग्रेस नेता
6.
बन्ड़ेप्पा
कशेमुर – पूर्व जेडीएस विधायक – बीदर
7.
ए.
कृष्णप्पा – पूर्व कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री, वर्तमान में जद (स) के प्रदेश अध्यक्ष
8.
एस. ए.
जिद्दी – विधान परिषद् सदस्य
9.
सी. एच.
विजयशंकर – बीजेपी नेता, पूर्व मंत्री एवं पूर्व सांसद – मैसूर लोकसभा
10.
विरूपाक्ष
– पूर्व सांसद – कोप्पल लोकसभा
11.
ए वी
उमापथी – पूर्व विधायक
12.
डी.
वेंकटेश अलुर्ति – मेयर बैंगलोर
13.
जगदेव
गुत्तेदार – चेयरमैन – गुलबर्गा जिला पंचायत
14.
एम्.
एन. कृष्णप्पा – प्रमुख यादव नेता
15.
पुली
कोदंडा रमैया – पूर्व आई. पी. एस. ऑफिसर एवं पूर्व सांसद – चित्रदुर्ग
16.
चन्नैया
वाडियर – पूर्व सांसद – चित्रदुर्ग
17.
डी. के.
नैयकर – पूर्व सांसद
18.
बसंथ
राव पाटिल प्रमुख नेता
19.
एल. आर.
नायक – पूर्व सांसद
20.
मुनियप्पा
गुदाप्पा – पूर्व विधायक
21.
डॉ.
उमेश जी. जादव – विधायक, चिन्चोली, कांग्रेस
कुरुबा विधायक – 2013 विधानसभा चुनाव
22.
एम्. के. सोमशेखर – कृष्णराजा
23.
एम् टी बी नागार्जु – होसकोटे
24.
बी. ए. बसवा राजू – के आर पुरम
25.
बी जी. गोविन्दप्पा – होसदुर्ग
26.
चन्नाबसप्पा सथ्यप्पा शिवाल्ली – कुन्दगोला
27.
राघेवन्द्र इत्नल – कोप्पल
28.
बासवराज शिवान्नावर – बयादगी
29.
हुल्लाप्पा यावानाप्पा मति – बागलकोट
30.
बी बी चिम्मानाकती – बादामी
31.
कुश्तागी डोद्दना गौड़ा पाटिल – कुश्तागी
32.
शशिकला जोल्ले – निप्पनी
33.
सुरेशबाबू – सी एन हाली
34.
के बी कोलेवाडा – रानेबेन्नुर –कांग्रेस
35.
बी आर. पाटिल – अलंदा – के जी पी
36.
जी. एच. श्रीनिवास – तरिकेरे
कर्णाटक में एक से बढ़कर एक यादव विभूतियों ने
जन्म लिया जिसने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में देश एवं समाज का नाम रोशन किया |
कुछ प्रमुख विभूतियों के नाम इसप्रकार है _
1.
कविरत्न
कालिदास – महान संस्कृत कवि
2.
टी.
मरिअप्पा – स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा पूर्व वित्त मंत्री – मैसूर
राज्य
3.
सांगोली
रैयन्ना – महान स्वतंत्रता सेनानी
4.
रवि
नागराज
5.
केम्पैय्या
– पूर्व आई. पी. एस. ऑफिसर, चन्दन तस्कर वीरप्पन के खिलाफ अभियान के लिए लोकप्रिय
6.
ए. वी.
रवि
7.
जनरल
सत्यवंत मलन श्री गणेश – (1903 – 1977) दुसरे भारतीय जो चीफ आर्मी स्टाफ बने
8.
कलाथापसवी
राजेश – कन्नड़ अभिनेता
9.
दुनिया
विजय – कन्नड़ अभिनेता
10.
माध|
योगेश
11.
कांचा
लैय्या – सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखक
12.
पी. आर.
थिप्पेस्वामी – कलाकार एवं संगीतज्ञ
13.
काका
नायक – काकंकोट के काडू कुरुबा का महान नेता
धार्मिक नेता एवं मठाधीश
1.
संत कनकदास
– हरिदास आन्दोलन के संत
2.
जुनजे
गोड्डा – नर महादेश्वर मंदिर का निर्माता
3.
श्री
वीरेन्द्र केशव तारकनाथ पूरी स्वामी – कागिनेले कनक गुरुपीठ के प्रथम मठाधीश
4.
बासवराज
देवारू – मंसूर श्री सिद्धेश्वर मठ के मठाधीश
5.
श्री
अन्जनप्पा स्वामीजी – गात्ताहाली आश्रम , कोलार के प्रथम प्रमुख
6.
श्री निरंजनानंद
स्वामीजी - कागिनेले कनक गुरुपीठ के मठाधीश
7.
श्री
येलालिंगा महाराज – बगलकोट
प्रशासन
1.
राजीव
यदुवंशी – कर्णाटक कैडर के आई. ए. एस. अधिकारी
bahut achhi jankari
जवाब देंहटाएंYadav
जवाब देंहटाएंGlorious History of Yadav
हटाएंतुम अपने ब्लॉग में आधी चीज गलत लिखते हो
जवाब देंहटाएंजो यादव कुल से नही होता है उसको भी यादव बता देते हो
इसलिए मैं इस ब्लॉग को प्रमाणिक नही मानता
और इसका विरोध करता हूँ
Jai Yadav jai madhav
जवाब देंहटाएंBahut sundar
जवाब देंहटाएंPal gadaria ha. Yadav nahi ha.
जवाब देंहटाएंPal samaj jindabad.
जवाब देंहटाएंकृपया मैसूर में यदुवंशी महासभा के सदस्यों की जानकारी देने का कष्ट करें।
जवाब देंहटाएं